बिरसा मुंडा: वो जननायक जिसने खोलीं दासता की बेड़ियां, जिनसे अंग्रेज भी थर्राते थे- Shailendra Kumar PS-5 जिला अध्यक्ष
बिरसा मुंडा को पूरी दुनिया एक ऐसे जननायक के तौर पर जानती है जिसने पिछड़ा शोषित समाज की उलगुलान(क्रांति) की शुरुआत की थी। अंग्रेज जिससे थर्राते थे वे 9 जून 1900 को दुनिया से अलविदा हो गए थे।
बिरसा मुंडा: वो जननायक थे जिसने दासता की बेड़ियां खोलीं, थर्राते थे अंग्रेज
Today Updates: Published by: Rajendra Kumar,
Written by: Shailendra Kumar
बिरसा मुंडा को भारतीय समाज एक ऐसे नायक के तौर पर जानता है जिसने सीमित संसाधनों के बावजूद अंग्रेजों के खिलाफ जोरदार मोर्चा खोल दिया था। पिछड़ा शोषित समाज मे उलगुलान की शुरुआत करने वाले ये वो शख्स थे जो जननायक के तौर पर इतिहास में दर्ज हो गए, बिरसा मुंडा से अंग्रेजी हुकूमत तार नही खाती थी उन्हें गिरफ्त में लेकर 2 साल के लिए जेल में डाल दिया गया था, उन्होंने अपनी अंतिम सांस 9 जून 1900 को लिया था।
1. उन्हें साल 1900 में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए गिरफ्तार किया गया और रहस्यमयी परिस्थितियों में रांची जेल के भीतर उनकी मौत हो गई थी जिन्हें आज भी हमारा समाज पिछड़ा शोषित समाज का जननायक के तौर पर याद करता है।
2. महानायक बिरसा मुंडा की जिंदगी और संघर्ष पर दो फिल्में भी बनीं, पहले गांधी (2008) और उलगुलान-एक क्रांति (2004)
3. महानायक बिरसा मुंडा 1897 से 1900 के बीच अंग्रेजों के खिलाफ गोरिल्ला युद्ध लगातार लड़ते रहे, अंग्रेजों ने उन्हें पकड़ने के लिए उस दौर में 500 रुपये की इनामी धनराशि रखी थी।
4. उन्होंने युवा छात्र के तौर पर ही जर्मन मिशन स्कूल में दाखिला दिया गया था यही इसका सबसे बड़ा वह था जिससे उसका नाम डेविड पड़ा।
बिरसा मुंडा का जन्म 1875 के दशक में छोटा नागपुर में मुंडा मूलनिवासी परिवार में हुआ था। मुंडा एक जनजातीय समूह था जो छोटा नागपुर पठार में निवास करते थे। बिरसा मुंडा को 1900 में आदिवासी लोगों को भड़काने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें 2 साल की सजा हो गई। इस बीच अंग्रेजों द्वारा दिए गए एक जहर के कारण 9 जून 1900 को ही उनकी जेल में ही मौत हो गई थी।
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माँ भारती के इस वीर सपूत बिरसा मुंडा को शत् शत् नमन 🙇
बिरसा मुंडा अमर रहें।।🙏
भगवान बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि पर समाज के सभी लोगों को बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि में बिरसा मुंडा को शत-शत नमन करता हूं और बताना चाहता हूं कि बिरसा मुंडा जैसे महा योद्धा अब इस दुनिया में लगता है कि कोई कभी पैदा नहीं होगा लेकिन उसी समय के डॉक्टर बी आर अंबेडकर बाबा साहब अंबेडकर साहब गरीबों के मसीहा मान्यवर कांशी राम साहब जैसे महापुरुष पैदा हुए यह बहुत जनों की आवाज को उठाने वाले इस दुनिया में पैदा ही होते रहेंगे सामंतवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले लोग पैदा ही होते रहेंगे और मेरा कहना यह है कि डॉक्टर बाबा साहब ने कहा था कि जुर्म उतना बुरा नहीं है जितनी बुरी खामोशी है हमारे लोगों को जुर्म के खिलाफ आवाज उठाना ही होगा हर घर से बिरसा मुंडा बन जाए हर घर से डॉक्टर बी आर अंबेडकर बन जाए हर घर से मन भर कांशी राम साहब बन जाए यह लड़ाई अब कोई दूर नहीं है यह लड़ाई अब बहुत नजदीक हो गई है इस लड़ाई को लड़ना हर हर घर के लोगों को क्रांतिकारी जय भीम जय बिरसा मुंडा नमो बुद्धा